কেশবচন্দ্র চক্রবর্তী স্মৃতি রক্ষা সমিতির উদ্যোগে হাওড়ার পূর্ব সঙ্ঘ চালক স্বর্গীয় ডা. সুধীর কুমার ব্যানার্জীর শ্রদ্ধাঞ্জলি সভা শিবপুর পাবলিক লাইব্রেরিতে অনুষ্ঠিত হল। রাষ্ট্রীয় স্বয়ংসেবক সঙ্ঘের স্বয়ংসেবকরা এবং সঙ্ঘের সঙ্গে যুক্ত আনুষঙ্গিক সংগঠনগুলি থেকে প্রায় তিনশ মানুষ এই অনুষ্ঠানে যোগ দিয়ে স্বর্গীয় ডা. সুধীর কুমার ব্যানার্জির উদ্দেশে পুষ্পাঞ্জলি প্রদান করেন। তাঁর আত্মার শান্তি কামনায় এক মিনিট নীরবতা পালন করা হয়, তারপর বিশিষ্ট সাংবাদিক রথীন্দ্র মোহন ব্যানার্জি তাঁর জীবন বৃত্তান্ত নিয়ে আলোচনা করতে গিয়ে বলেন যে তাঁর জীবনের লক্ষ্যই ছিল ‘নমস্তে সদা বৎসলে মাতৃভূমে’। তিনি একজন বিখ্যাত চিকিৎসকের সঙ্গে সঙ্গে দক্ষ সংগঠক, দরদী সমাজসেবী ছিলেন। তিনি বহু অনাথ আশ্রমের জন্য সুব্যবস্থা প্রদান করেছিলেন। এছাড়া তিনি একজন সঙ্গীতজ্ঞও ছিলেন। তিনি চিকিৎসা ক্ষেত্রে মহেশ ভট্টাচার্য হোমিওপ্যাথিক মেডিকেল কলেজে অধ্যাপনার সঙ্গে যুক্ত ছিলেন। এই অনুষ্ঠানে পঞ্চানন ব্যানার্জী, ডা. ব্যানার্জীর লেখা ‘কবাডি’ কবিতাটি পাঠ করেন। বিদ্যা ভারতীর পক্ষ থেকে বিজয় কুলকার্ণী বলেন যে, ১৯৭১ সালে তিনি নগর প্রচারক হিসেবে যোগদান করেন এবং তাঁর পরিবারের সঙ্গে ঘনিষ্ঠতা বাড়ার পর দেখা যায় তিনি সঙ্ঘের কাজে সম্পূর্ণ সমর্পিত। ডা. ব্যানার্জীর কনিষ্ঠা কন্যা শ্বেতা শর্মা বন্দ্যোপাধ্যায় বলেন, তিনি পরিবারের সঙ্গে সঙ্গে সমাজেরও বট বৃক্ষ ছিলেন। তিনি সহৃদয় ভাব সহকারে গরীব ছাত্রদের পুস্তক এবং দুঃস্থ রোগীদের বিনামূল্যে ঔষধ প্রদান করতেন। রামকৃষ্ণ দরিদ্র ভাণ্ডারের তন্ময় বন্দ্যোপাধ্যায়, দরিদ্র নারায়ণের প্রতি তাঁর সেবা ভাবের কথা ব্যক্ত করেন। এই অনুষ্ঠানে হাওড়া মহানগর সঙ্ঘচালক সঞ্জয় বসু বলেন, ওঁর সান্নিধ্য খুব অল্প সময়ের জন্য পেয়েছি, কিন্তু উনিই আমার প্রেরণা এবং পাথেয়। হাওড়া নগর নিগমের পূর্ব মেয়র পারিষদ সদস্য শান্তনু বন্দ্যোপাধ্যায় বলেন, আমাকে মনুষ্যত্ব এবং মানবতার শিক্ষা উনিই দিয়েছিলেন, যাঁকে আজ হাওড়া জেলা হারিয়ে ফেলল। গৌরী চৌধুরী কবিতা আবৃত্তির মাধ্যমে শ্রদ্ধা জ্ঞাপন করেন। অরবিন্দ সাধক সঙ্ঘের গোবিন্দ চট্টোপাধ্যায় তাঁর সাহিত্যিক সত্তা সকলের সামনে তুলে ধরেন এবং সুশীল দলুই ও রীতা চক্রবর্তী তাঁদের শ্রদ্ধা ব্যক্ত করে বলেন এমারজেন্সির সময় তাঁর কার্যপ্রণালী দেখেছিলাম। সেই সময় বন্দী স্বয়ংসেবকদের ছাড়ানোর জন্য আমার ভাইয়ের সঙ্গে আলোচনা করার জন্য রাতে আমাদের বাড়িতে আসতেন। এই অনুষ্ঠানে সর্ববরিষ্ঠ সঙ্ঘ কার্যকর্তা কেশবজী দীক্ষিত এবং প্রান্তীয় ও জেলার বহু কার্যকর্তা উপস্থিত ছিলেন।
हावड़ा के पूर्व संघ चालक स्व• डाॅ• सुधीर कुमार बनर्जी की श्रद्धांजलि सभा आज शिवपुर पब्लिक लाइब्रेरी में केशव चन्द्र चक्रवर्ती स्मृति रक्षा समिति की ओर से आयोजित थी। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयंसेवकों के अलावा संघ से जुड़े अनुषांगिक संगठनों के तकरीबन तीन सौ कार्यकर्ताओं ने स्व• डाॅ• बनर्जी के चित्र पर पुष्पार्पण कर श्रद्धाजलि दी। आत्म शांति के लिये एक मिनट की मौन के बाद स्व• डाॅ• बनर्जी के जीवनवृत को रखते हुए वरिष्ठ पत्रकार रथीन्द्र मोहन बनर्जी कहा उनके जीवन का ध्येय था ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि’ । वे एक कुशल चिकित्सक के साथ एक कुशल संगठक,जन दरदी समाजसेवी सेवाभावी अनाथालयों की सुव्यवस्था में शामिल रहने वाले, तथा संगीतज्ञ भी थें। चिकित्सा के क्षेत्र में अध्यापन से जुड़े महेश भट्टाचार्य होम्योपैथिक काॅलेज एण्ड हास्पिटल में अध्यापक के तौर पर अध्यापन करते शोध से भी जुड़े थें। इस अवसर पर पंचानन बनर्जी ने डाॅ बनर्जी का लिखा कबड्डी कविता का पाठ किया। विद्या भारती के विजय कुलकर्णी ने बताया कि 1971में नगर प्रचारक होकर आया और उनके परिवार में घनिष्ठा बढ़ी तो देखा सुधीर दा संघ के प्रति पूर्ण निष्ठावान थें। डाॅ• कनिष्ठ सुपुत्री श्वेता शर्मा बन्दोपाध्याय ने कहा कि वे परिवार के साथ समाज के लिए भी वट वृक्ष थें। जरुरतमंद छात्रों के लिये पुस्तक तथा रोगियों की दवा के लिये भी आर्थिक सहायता निरंहकारी भाव से देते थें।रामकृष्ण दरिद्र भण्डार के तन्मय बन्दोपाध्याय ने उनके दरिद्र नारयण समाजसेवी भाव बोध को व्यक्त किया। इस अवसर पर हावड़ा महानगर संघ चालक संजय बसु ने कहा कि थोड़े समय का उनसे सान्निध्य रहा लेकिन वही मेरी प्रेरणा और पाथेय है।हावड़ा नगर निगम के पूर्व मेयर परिषद सदस्य शान्तनु बन्दोपाध्याय ने कहा कि मुझे मनुष्यता मानवता की शिक्षा देने वाले यही डाॅ सुधीर बनर्जी थें आज हावड़ा ने उन्हें खो दिया है। गौरी चौधरी ने कविता आवृत्ति के जरिये अपनी श्रद्धा व्यक्त की। अरविन्द साधक संघ के गोविन्द चट्टोपाध्याय ने उनकै साहित्यिकार स्वरुप को रखा जबकि सुशील दलुई तथा ऋता चक्रवर्ती ने अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि इमर्जेंसी के दौरान उनके कार्य पद्धति को देखा था, संघ के आदर्श के अनुसार बन्दी स्वयंसेवकों के हित चिन्तन में उनकी परेशानियों को दूर करने के लिये मेरे भाई से चर्चा करने रात को हमारे घर आते थें। इस अवसर पर सर्व वरिष्ठ संघ कार्यकर्ता केशव जी दीक्षित के अलावा प्रान्तीय व जिला के कई कार्यकर्ता मौजूद थें ।