তুমি ধ্যান করতে না পারলে, মনে মনে অনর্থক কথা বলেই চল, আর কোন কাজই তখন হয় না। ধরে নাও তুমি একটু নির্বোধ, তবেই তুমি গভীরতায় মগ্ন হতে পারবে।
বুদ্ধি তোমার সমগ্র চেতনার একটি ক্ষুদ্র অংশ মাত্র। তুমি যদি কেবল বুদ্ধিতে সীমাবদ্ধ হয়ে থাকো তবে তোমার হাত থেকে অনেক কিছু ফসকে যাবে। বুদ্ধিকে অতিক্রম করে যাওয়াই হল আনন্দ বা খুশি। শ্রদ্ধায় এবং নির্বোধ হয়েও তুমি বুদ্ধিকে অতিক্রম করতে পার। তুমি কি লক্ষ্য করেছ, মানসিক ভারসাম্যহীন মানুষ অনেক আনন্দে থাকে ?
প্রশ্ন : আপনি কিভাবে বুদ্ধির উর্ধ্বে যান ?
উত্তর : বোকার মতো কাজ করে।
কেউ বোকা হতে চায় না, কেউ চায় না তাকে দেখে হাবাগবা মনে হোক। এটিই হল নির্বুদ্ধিতা ৷
নির্বোধ হবার পরমুহূর্তে ধ্যান করা উচিত। নইলে বিষণ্নতা আসতে পারে।
জ্যানেয়ল : আমি কি একটি বোকা বোকা প্রশ্ন করতে পারি ?
শ্রী শ্রী : সব প্রশ্নই বোকা বোকা ৷
মাইকি : তুমি কিভাবে বোকা হলে ?
ইয়শ : প্রশ্ন জিজ্ঞাসা করে।
রাজশ্রী : নিজের মতো হও ৷
🌳🦚 জয় গুরুদেব 🦚🌳
Weekly Knowledge #1⃣5⃣8⃣
Baltimore,Maryland
17 Jun 1998
USA
IF YOU CANNOT MEDITATE, BE STUPID
If You Are Unable To Meditate, Your Mind Is Chattering Too Much And Nothing Works, Just Feel That You Are A little stupid. Then you will be able to sink deep.
Your intellect is a small portion of your total consciousness. If you are stuck in the intellect, you miss a lot. Happiness is when you transcend the intellect. Also, in awe or in feeling stupid, you transcend the intellect. Have you noticed mentally retarded people are more happy?
Question: How do you go beyond the intellect?
Answer: By acting stupid!
Everyone avoids being stupid, no one wants to look dumb. That is really stupid.
Stupidity should be followed by meditation, otherwise depression may follow.
Janael: Can I ask a stupid question?
Sri Sri: All questions are anyway stupid.
Mikey: How do you become stupid?
Yash: By asking the question.
Rajshree: Just be yourself!
🌸Jai Gurudev🌸
साप्ताहिक ज्ञानपत्र १५८
१७ जून, १९९८
बाल्टीमोर, मेरीलैंड, ( यु. इस. ऐ)
यदि तुम ध्यान नहीं क्र सकते- बेवकूफ हो जाओ!
यदि तुम ध्यान करने में असमर्थ हो, यदि तुम्हारा मन अत्यधिक बाते कर रहा है और कुछ भी काम नहीं कर रहा , सिर्फ महसूस करो की तुम थोड़े से बेवकूफ हो। तब तुम गहनता में डूब सकोगे।
तुम्हारी बुद्धि तुम्हारी सम्पूर्ण चेतना का एक छोटा सा अंश है।
यदि तुम बुद्धि में फंसे हो, तब तुम कुछ खो देते हो। प्रसन्नता तब है जब तुम बुद्धि के परे जाते हो। जब तुम मुर्ख महसूस करते हो या अचम्भे में होते हो, तब तुम बुद्धि के परे जाते हो।
क्या तुमने गौर किया है कैसे मंद बुद्धि के व्यक्ति ज्यादा खुश है ?
प्रश्न: बुद्धि के परे कैसे जाये?
श्री श्री: बेवकूफ होने से ! सब मुर्ख बनने से कतराते है – कोई भी बेवकूफ नहीं प्रतीत होना चाहता। यह सचमुच मूर्खता है।
मूर्खता के बाद ध्यान आवश्यक है वरना उदासीनता आ सकती है।
प्रश्न: बेवकूफ कैसे बने ?
यश : प्रश्न पूछ कर।
राजश्री: जैसे आप हो , वैसे ही रहो।
🌸जय गुरुदेव
🌸