Press Statement:
Shri Ram Janmabhoomi Temple will be an unique hub of social harmony: Milind Parande
New Delhi, July 30, 2020 – Central Secretary General of Vishva Hindu Parishad (VHP), Sri Milind Parande said, “I am delighted that this press conference, in respect of the birthplace of Maryada Purushottam Shri Ram, is being held today at the holy hub Nagpur that sourced the Sangh-Ganga by Dr. Hedgewar and the Samta-Ganga from the Deeksha Bhoomi here by Dr. Babasaheb Ambedkar! Maryada Purushottam Bhagwan Sri Ram gave the message of social harmony and empowerment from his own life. The water and earth carried to Ayodhya from thousands of holy rivers and pilgrimage centres and shrines across the country to form part and parcel of the foundation and consecration ceremony of the Temple of Nativity of Sri Ram will showcase the togetherness of the whole of Bharat and stand to enthuse, motivate and orient the people to always uphold and celebrate uncompromising cultural nationalism, integral humanism, national unity, territorial integrity of the nation. He said that the emancipation of Ahalya by Bhagwan Sri Ram, high esteem shown to Shabari Mata and camaraderie with Nishadraj are outstanding illustrations of social harmony. The foundation stone of Shri Ram Janmabhoomi was laid in 1989 in the presence of many revered saints by the lotus-hands of a Scheduled Caste young-man Shri Kameshwar Chaupal, who is today also a valued Trustee of the Shri Ram Janmabhoomi Teerthakshetra Trust. He said that, with great pomp, ceremony and joy, sacred earth from thousands of holy pilgrimage centres and waters of holy rivers are being sent from all over the country for consecration ceremony at Shri Ram Janmabhoomi, Ayodhya. Whether it is from Nagpur – the birthplace of the Rashtriya Swayamsevak Sangh, or from the birthplace of Sant Ravidas ji in Kashi, or Maharshi Valmiki Ashram at Sitamarhi, Bihar, or Kachargad in Gondia District in Vidarbha (Maharashtra), or Ramrekhadham of Jharkhand or Tantya Bheel’s holy land in Madhya Pradesh, Shri Harmandir Sahib (Golden Temple) of Amritsar, Punjab or from Mahu – the birthplace of Dr. Babasaheb Ambedkar, or the Jain Lal Mandir in Delhi or the Valmiki Temple in Delhi, where Mahatma Gandhi lived for 72 days – these are only a few examples. The VHP Secretary General called upon all Ram Bhaktas to sit collectively, as far as possible, from 10.30 a.m. on August 5, 2020 in their respective homes, establishments, monasteries, Ashrams, temples, etc., to offer worship-Bhajan-Keertan-Smaran-Flowers-Aarti (Service of Light) to their respective adored deities/divinities and distribute Prasad (Blessed Food). They should make all possible arrangements to show live the Ayodhya programme to the society; Decorate houses, neighbourhoods, villages, markets, monasteries, Gurudwaras, Ashrams, etc., and light Diya (lamps) in the evening; Pledge to donate for the temple, as much as possible, for the construction of the temple. Using all means of publicity/promotion/exposure/public relations, the Ram Bhaktas should ensure that this grand programme reaches more and more people of the society. Surely, in all these schemes and programmes, all care should be taken, including wearing of face masks, hand sanitizing, social distancing, etc., to protect one and all from the pandemic of COVID-19/Corona virus infection, and all government and administrative guidelines in this regard must be followed.
Regards
Vinod Bansal
National Spokesperson
Vishva Hindu Parishad
গণমাধ্যমের প্রতি বার্তা
শ্রী রাম জন্মভূমি মন্দিরটি সামাজিক সম্প্রীতির এক অনন্য কেন্দ্র হবে: মিলিন্দ পরান্দে
নয়াদিল্লি, ৩০ জুলাই, ২০২০ – বিশ্ব হিন্দু পরিষদের (ভিএইচপি) কেন্দ্রীয় সাধারণ সম্পাদক শ্রী মিলিন্দ পরান্দে বলেছেন , “আমি আনন্দিত যে, মর্যাদা পুরুষোত্তম শ্রী রামের জন্মস্থান (শ্রী রাম জন্মভূমি) সম্পর্কিত আজ এই সাংবাদিক সম্মেলন অনুষ্ঠিত হচ্ছে নাগপুরের পবিত্র ভূমিতে , যে স্থানকে ডাঃ হেডগেওয়ার সংঘ-গঙ্গার উৎস স্থলে রুপান্তরিত করেছিলেন এবং অনতিদূরেই ডক্টর বাবাসাহেব আম্বেদকরের দীক্ষা ভূমি যা যথার্থ সমতা-গঙ্গা স্বরূপ ! মর্যাদা পুরুষোত্তম ভগবান শ্রী রাম তাঁর নিজের জীবন থেকে সামাজিক সম্প্রীতি এবং সামাজিক সশক্তিকর-এর বার্তা দিয়েছিলেন।
শ্রী রামের মন্দিরের ভিত্তি ও উদ্বোধনী অনুষ্ঠানের গুরুত্বপূর্ণ অংশ হিসাবে সারা দেশের হাজার হাজার পবিত্র নদী এবং তীর্থস্থান এবং মন্দিরগুলি থেকে অযোধ্যাতে নিয়ে যাওয়া জল এবং মৃত্তিকা সমগ্র ভারতবর্ষের একত্রিত স্বরূপ হিসাবে গণ্য হবে এবং দেশবাসীকে সর্বদা আপোষহীন সাংস্কৃতিক জাতীয়তাবাদ, অবিচ্ছেদ্য মানবতাবাদ, জাতীয় ঐক্য , জাতির আঞ্চলিক অখণ্ডতা বজায় রাখতে এবং উদযাপন করতে প্রেরণা ও দিকনির্দেশ করবে।
তিনি বলেছেন যে ভগবান শ্রী রামের দ্বারা অহল্যার মুক্তি, শবরী মাতার প্রতি উচ্চ সম্মান প্রদর্শন এবং নিশাদরাজের সাথে বন্ধুত্বপূর্ণ সম্পর্ক – এগুলি সামাজিক সম্প্রীতির অসামান্য উদাহরণ। ১৯৮৯ সালে এক তফসিলি বর্ণের যুবক শ্রী কামেশ্বর চৌপালের করকমল দ্বারা বহু শ্রদ্ধেয় সন্তদের উপস্থিতিতে শ্রী রাম জন্মভূমির ভিত্তিপ্রস্তর স্থাপন করা হয়েছিল, যিনি আজ শ্রী রাম জন্মভূমি তীর্থক্ষেত্র ট্রাস্টের অন্যতম ট্রাস্টিও হয়েছেন। ।
শ্রী পরান্দে বলেন যে, যথাযথ মর্যাদাপূর্ণ অনুষ্ঠান, উৎসাহ ও আনন্দের সঙ্গে হাজার হাজার পবিত্র তীর্থস্থান এবং পবিত্র নদীগুলির জল ও মৃত্তিকা সারা দেশ থেকে অযোধ্যার শ্রী রাম জন্মভূমিতে পবিত্র অনুষ্ঠানের জন্য প্রেরণ করা হচ্ছে। তা – রাষ্ট্রীয় স্বয়ংসেবক সংঘের সূচনাস্থল নাগপুরেরই হোক , বা সন্ত রবিদাসজীর জন্মস্থান কাশীর, বিহারের সীতামারির মহর্ষি বাল্মীকি মুনির আশ্রমের ,
গন্ডিয়া জেলার কাচারগড় (মহারাষ্ট্র) , ঝাড়খণ্ডের রামরেখধাম , মধ্য প্রদেশের তান্ত্য ভীলের পবিত্র ভূমি , পাঞ্জাবের অমৃতসরের শ্রী হরমন্দির সাহেব (স্বর্ণ মন্দির) ডক্টর বাবাসাহেব আম্বেদকের জন্মস্থান মহু , দিল্লির জৈন লাল মন্দির, কিংবা দিল্লির বাল্মীকি মন্দির যেখানে মহাত্মা গান্ধী ৭২ দিন অবস্থান করেছিলেন – এইরকমই সব বিশেষ স্থান থেকে।
বিশ্ব হিন্দু পরিষদের সাধারণ সম্পাদক সকল রাম ভক্তকে ২০২০ সালের ৫ ই আগস্ট, সকাল ১০.৩০ থেকে নিজ নিজ বাড়ি, মঠ, আশ্রম, মন্দির , প্রতিষ্ঠান ইত্যাদি জায়গায় নিয়ম মেনে সম্মিলিত হওয়ার আহ্বান জানিয়েছেন। ভজন-কীর্তন- স্মরণ-পূজা -আরতি, আলোকসজ্জা , নিজ নিজ আরাধ্য দেবদেবীদের উপাসনা এবং প্রসাদ বিতরণ ইত্যাদি আয়োজন করার কথা বলেছেন। অযোধ্যার অনুষ্ঠানটির ‘লাইভ’ সকলকে দেখানোর জন্য সমস্ত সম্ভাব্য ব্যবস্থা করা উচিত । বাড়ি , এলাকা, গ্রাম, বাজার, মঠ, গুরুদ্বার, আশ্রম ইত্যাদি সাজিয়ে , সন্ধ্যায় সেখানে প্রদীপ জ্বালানোর ব্যবস্থাও থাকা দরকার। মন্দির নির্মাণের জন্য যথাসাধ্য অনুদান দেওয়ার অঙ্গীকারবদ্ধ হোন। জনসংযোগের সমস্ত মাধ্যম ব্যবহার করে এটা নিশ্চিত করতে হবে যে এই অতুলনীয় কর্মসূচিটি সমস্ত রামভক্তসহ সমাজের অধিকাধিক মানুষের কাছে যেন পৌছায় । অবশ্যই, এই সমস্ত পরিকল্পনা এবং অনুষ্ঠানগুলির সময় , কোভিড-১৯ এর নির্দেশিকা অনুযায়ী করোনার ভাইরাস সংক্রমণের থেকে সকলকে রক্ষা করার জন্য মুখোশ পরা, হ্যান্ড স্যানিটাইজিং, সামাজিক দূরত্ব ইত্যাদিসহ সমস্ত ব্যবস্থা নেওয়া উচিত এবং এই বিষয়ে প্রশাসনিক নির্দেশাবলী অনুসরণ করা আবশ্যক।
শুভেচ্ছা সহ
বিনোদ বনসল
জাতীয় মুখপাত্র
বিশ্ব হিন্দু পরিষদ
प्रेस वक्तव्य:
सामाजिक समरसता का अनुपम केंद्र बनेगा श्रीराम जन्मभूमि मंदिर : मिलिंद परांडे
नई दिल्ली, 30 जुलाई, 2020 – विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केन्द्रीय महामंत्री श्री मिलिंद परांडे ने कहा कि मुझे ख़ुशी है कि मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम की जन्म भूमि के सम्बन्ध में यह पत्रकार वार्ता आज एक ऐसे पावन स्थल पर हो रही है जहां से डॉ. हेडगेवार जी द्वारा संघ-गंगा तथा डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जी की दीक्षा भूमि से समता-गंगा का उद्गम हुआ. मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम ने सामाजिक समरसता और सशक्तिकरण का संदेश स्वयं के जीवन से दिया। उनके मंदिर के पूजन में प्रयुक्त होने वाले, देश भर की हजारों पवित्र नदियों का जल व पावन तीर्थों की रज, सम्पूर्ण भारत को, एकाकार कर राष्ट्रीय एकात्मता का दर्शन कराएंगे। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम द्वारा अहिल्या उद्धार, शबरी व निषादराज से प्रेम और मित्रता सामाजिक समरसता के अनुपम उदाहरण हैं। श्री राम जन्मभूमि का शिलान्यास 1989 में अनेक पूज्य संतों की उपस्थिति में अनुसूचित जाति के श्री कामेश्वर चौपाल के कर कमलों से ही संपन्न हुआ था जो, आज श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के न्यासी भी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हजारों पवित्र तीर्थ क्षेत्रों की पावन माटी एवम् पवित्र नदियों का जल, आनंद व हर्षोल्लास के वातावरण में, श्रीराम जन्मभूमि पूजन हेतु, देश भर से भेजा जा रहा है। बात चाहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उद्गम स्थल नागपुर की हो या संत रविदास जी के काशी स्थित जन्मस्थली की, सीतामढ़ी विहार से महर्षि वाल्मीकि आश्रम की हो या विदर्भ (महाराष्ट्र) के गोंदिया जिलान्तर्गत कचारगड की, झारखंड के रामरेखाधाम की हो या मध्यप्रदेश के टंट्या भील की पुण्य भूमि की, श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर पंजाब की हो या डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जन्मस्थान महू की, दिल्ली के जैन लाल मंदिर की हो या उस वाल्मीकि मंदिर की जहां महात्मा गांधी 72 दिन रहे थे, ये सब मात्र कतिपय उदाहरण ही हैं। विहिप महामंत्री ने आह्वान किया कि पांच अगस्त को हम सभी राम भक्त अपने-अपने घरों, प्रतिष्ठानों, मठ-मन्दिरों, आश्रमों इत्यादि स्थानों पर ही यथासम्भव सामूहिक बैठकर प्रातः 10.30 बजे से अपने-अपने आराध्य देव का भजन-पूजन कीर्तन स्मरण करें, पुष्प समर्पित करें, आरती करें तथा प्रसाद बाँटें। अयोध्या के कार्यक्रम को समाज को लाइव दिखाने की यथासम्भव व्यवस्था करें। घरों, मुहल्लों, ग्रामों, बाज़ारों, मठ-मन्दिरों, गुरुद्वारों, आश्रमों इत्यादि में साज-सज्जा कर सायंकाल में दीप जलायें। मंदिर निर्माण के लिए यथाशक्ति दान का संकल्प लें। प्रचार के सभी साधनों का उपयोग करते हुए समाज के अधिकाधिक लोगों तक इस भव्य कार्यक्रम को पहुँचायें। साथ ही इन सभी योजनाओं व कार्यकर्मों में कोरोना से रक्षा के सभी साधन अपनायें तथा इस सम्बन्ध में आए सरकारी व प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करें।
जारीकर्ता
विनोद बंसल
राष्ट्रीय प्रवक्ता, विश्व हिंदू परिषद
Live press meet :
Mr. Milind Parande,
General Secretary,
Vishwa Hindu Parishad
Subject: Shri Ram Janmabhoomi Center of social harmony
Time: 2 pm, 30 July 2020
RITAM লাইভ: বিশ্ব হিন্দু পরিষদের প্রেস মিলন, 30 জুলাই 2020 দুপুর ২ টায়
বিষয় : শ্রী রাম জন্মভূমি সামাজিক সম্প্রীতি কেন্দ্র
মিঃ মিলিন্দ পরান্দে,
সাধারণ সম্পাদক,
বিশ্ব হিন্দু পরিষদ
Live प्रेस वार्ता : श्री मिलिंद परांडे, महामंत्री विश्व हिंदू परिषद
विषय : श्रीरामजन्मभूमि सामाजिक समरसता का केंद्र
समय : 2 बजे , 30 जुलाई 2020