ऋषि अरविंद ने भारत की सनातन संस्कृति को राष्ट्रवाद के रूप में अभिहित किया :कुलपति रजनीश

ऋषि अरविंद ने भारत की सनातन संस्कृति को राष्ट्रवाद के रूप में अभिहित किया।आर्ष चेतना के अनुसार वे मानवीय कृतित्व के दिव्य आरोहण के सिद्धांतकार थे।भारतीय राष्ट्रवाद का उन्होंने सनातन सिद्धांतों के अनुसार सूत्रीकरण किया।उनके मतानुसार दशप्रहरणकारिणी माँ दुर्गा ही भारतमाता का जाग्रत विग्रह हैं। आज श्री अरविंद के 150वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आज 14 अगस्त को याद करते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रजनीश कुमार शुक्ल ने यह बात कही। अखिल भारतीय प्रबुद्ध मंच प्रज्ञा प्रवाह की पश्चिम बंगाल शाखा लोक प्रज्ञा के कैलाश गढ़ की ओर से स्वाधीनता के अमृत महोत्सव पर आयोजित ऋषि अरविंद के 150 में जन्मदिवस पर डॉक्टर शुक्ला बोल रहे थे , उन्होंने कहा कि ऋषि अरविंद अखंड भारत के स्वप्न द्रष्टा थें और आजादी को याद करते हुए कहा कि 14 अगस्त तक भारत अखंड था, हालांकि इसके पूर्व भी कई अंश भारत में के हो चुके थे। उन्होंने कहा कि ऋषि अरविंद ने कहा था कि आदिशक्ति की इच्छा परिवर्तित होगी और फिर से भारत अखंड होगा। ऋषि अरविंद के कालखंड को परिवर्तन का कालखंड बताते हुए डॉ शुक्ला ने कहा कि वह परिवर्तन का काल था जहां संचार माध्यम से लेकर पूरी दुनिया तेजी से बदल रही थी। श्री अरविंद को भारत के तत्कालीन वर्तमान से दूर रखने का सारा प्रयास असफल रहा, भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण कर जब अरविंद भारत आते हैं तो जैसे कभी एक राजकुमार जगत को दुख मुक्त करने के लिए राजपाट छोड़कर संन्यासी बन जाता है वैसे ही श्री अरविंद भारत माता के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं और राष्ट्रवाद की धारा प्रवाहित कर देश की स्वाधीनता के लिए नई दिशा यह कहते हुए देते हैं सनातन धर्म ही ‌‌ राष्ट्रवाद हैं। इस अवसर पर विशिष्ट वक्तव्य विश्व भारती की हिंदी विभागाध्यक्ष और लोक प्रज्ञा की भाषा विज्ञान प्रमुख डॉ शकुंतला मिश्र‌ ने विशिष्ट वक्तव्य रखते हुए मौजूदा दौर में ऋषि अरविंद पर डॉ शुक्ल के वक्तव्य को प्रासंगिक बताते हुए उनके मानववाद पर चर्चा की। विश्व भारती के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रामेश्वर मिश्रा, टी बोर्ड ऑफ इंडिया के सचिव डॉ. ऋषिकेश राय, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के प्रभारी सुनील कुमार ‘सुमन’ कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री शुक्ला, संपूर्ण “वंदे मातरम्” राष्ट्र वंदना की प्रस्तुति अनन्या त्रिपाठी ने की। कवि गिरधर राय ने ब्रह्मनाद किया। संगठन मंत्र का पाठ लक्ष्मण ढूंगले ने किया। लोकप्रज्ञा के राज्य संयोजक प्रोफ़ेसर डॉ सोमशुभ्र गुप्त ने कृतज्ञता ज्ञापन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.