वासुदेव झुनझुनवाला(85) का निधन आज हृदय गति रुकने से कोलकाता के अलीपुर निवास पर हो गया। विवेकानंद शिला स्मारक केंद्र कन्याकुमारी के संस्थापक प्रातः स्मरणीय परम पूज्यनीय एकनाथ रानाडे जी के निजी सचिव रहे वासुदेव झुनझुनवाला का निधन आज सुबह हो गया। अनिंद्य बनर्जी से यह समाचार मिलते ही उनकी स्नेहिल आत्मा को नमन करते हुए उनका जागतीय व्यक्तित्व आंखों के सामने झिलमिलाने लगा। कद से छोटे, गौरवर्ण , चेहरे पर हमेशा खिलती मुस्कान लेकिन निष्ठावान कार्यकर्ता, कुशल संगठक, मृदुभाषी और स्नेहिल व्यक्तित्व के धनी बासुदेव झुनझुनवाला का आज हमारे बीच नही होना एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करें। विज्ञान भारती कि पश्चिम बंग इकाई विवेकानंद विज्ञान मिशन के पूर्व अध्यक्ष तथा यादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफ़सर पताकी चरण बनर्जी ने बताया कि उनका साथ बहुत दिनों से था। वे विवेकानंद शिला स्मारक केन्द्र से बहुत दिनों से जुड़े थें। स्वभाव से सहयोगी और मृदुभाषी थे। राष्ट्र धर्म संस्कृति के साथ स्वामी विवेकानंद के प्रति वे समर्पित थे। विवेकानंद विज्ञान मिशन की पत्रिका ‘चरैवेति चरैवेति’ के लिये उनसे संपर्क करने पर स्वामी विवेकानंद के नाम से आने वाले अंक की बात सुनते ही उन्होंने सबसे पहले ₹5000 की सहयोग राशि प्रदान की थी। यह उनका स्वभाव था। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करें।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दक्षिण बंग प्रांत कार्यवाह जिष्णु बसु ने स्वर्गीय झुनझुनवाला के प्रति श्रद्धा समर्पित करते हुए कहा कि वे विवेकानंद शिला स्मारक केंद्र की स्थापना के समय से केंद्र से जुड़े थे पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहें, कोलकाता केंद्र के उनके अवदान को नहीं भुलाया जा सकता, साथ ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के तौर पर सेवा कार्य से भी जुड़े थे । उनका स्नेहिल और कर्मठ व्यक्तित्व कार्यकर्ताओं के लिए उदाहरण होगा। औचक उनका निधन दुखद है। विवेकानंद विज्ञान मिशन के पूर्व सचिव वैज्ञानिक कल्याण कुमार गांगुली ने कहा कि एक मृदुभाषी व्यक्तित्व चला गया। यह खबर बहुत ही दुखद है।
विवेकानंद शिला स्मारक केंद्र कन्याकुमारी की सचिव निवेदिता भिड़े ने बताया की स्मारक स्थापना के समय से ही वासुदेव झुनझुनवाला केंद्र के कार्यकर्ता रहे हैं। केंद्र के संस्थापक प्रातः स्मरणीय श्री रानाडे जी के कार्यालय सचिव के तौर पर वासुदेव जी कार्य करते थे। केंद्र से जुड़ने के पहले उनके हाथों का ही पत्र मुझे मिलता था। वे पूर्णकालिक कार्यकर्ता थे और कन्याकुमारी केंद्र के शुरुआती दौर यानी शिला स्थापना से केंद्र के तैयार होने तक वे कन्याकुमारी में ही रहें। उस समय के युवा वर्ग को पत्र लिखने का दायित्व वासुदेव जी पर था। कोलकाता रहने पर भी उनका संपर्क केंद्र से हमेशा बना रहा इधर के दिनों में संपर्क नहीं हो सका है।।केंद्र का पूरा इतिहास जानने वाला एक व्यक्ति हमारे बीच नहीं रहा यह हम लोगों के लिए शोक दायक है । उनकी दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपनी शरण में ले। केंद्र की ओर से भी उनकी स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित होगी।
डॉ आनंद पांडेय
2021-07-23