আয়ুশকে আলাদা করে আর রাখা যাবে না

গণতান্ত্রিক দেশে বিপর্যয় মোকাবিলায় চিকিত্সা ক্ষেত্রে গণতান্ত্রিকরনের প্রয়োজনীয়তা বিভিন্ন কারণে আজ অনুভূত হচ্ছে । ভারত সরকার স্মীকৃত ছয়টি চিকিত্সা পদ্ধতি নিয়ে গঠিত আয়ুশ মন্ত্রক এই জাতীয় বিপর্যয় মোকাবিলায় ঝাঁপিয়ে পড়েছে তা বলার অপেক্ষা রাখে না । করোনা ভাইরাসের মহামারি রূপ আমাদের সামাজিক, আর্থিক , শারিরীক , মানসিক ও ধর্মীয় জীবন যাত্রাতে আমূল পরিবর্তন এনে দিয়েছে । ইতি মধ্যে ৭০ লাখের বেশি মানুষ আক্রান্ত হয়েছেন এবং লক্ষাধিক মানুষের প্রাণ গেছে । সারা বিশ্বের নিরিখে আমরা ব্রাজিল কে হারিয়ে দিয়ে দ্বিতীয় স্থান লাভ করেছি। নোবেল করোনা ভাইরাস জনিত সার্স কোভি- ২ বা কোবিড -১৯ রোগের সঠিক টিকা নিয়ে সারা বিশ্বের বিভিন্ন দেশ গবেষণা হলেও কবে তা প্রকৃতপক্ষে মানুষ পাবে তার সঠিক দিশা এখনো বিশ্ব স্বাস্থ্য সংস্থা বা সরকার কেউ দিতে অপারগ । তাই এমত অবস্থায় ব্যক্তিগত রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা বৃদ্ধির দাওয়াই দিচ্ছে আয়ুশ মন্ত্রক।এই মন্ত্রকের সময়পযোগী পদক্ষেপ সত্যি প্রশংসার দাবি রাখে । দেশের মাননীয় প্রধান মন্ত্রী ১৪ই এপ্রিল জাতির উদ্দেশ্যে ভাষণের মাধ্যমে আয়ুশ মন্ত্রকের উপদিস্থ রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা বৃদ্ধির উপায়গুলি অবলম্বন করার কথা বলেন । তিনি সারা দেশের বিশিষ্ঠ আয়ুর্বেদ চিকিত্সকের সাথে ভিডিও কণফারেন্স এর মাধ্যমে পরামর্শ করেন। বিশেষ কমিটি গঠন করে আয়ুষের বিভিন্ন চিকিত্সা পদ্ধতির উপর চিকিত্সা সুত্র ও ব্যবস্থা তৈরি করে যা একটি নতুন রোগ কে সঠিক ভাবে চিকিত্সা করতে চিকিত্সকদের সহায়তা করবে। করোনা মোকাবিলায় আয়ুশ পদ্ধতিতে গবেষণার জন্য আবেদন জানানো হয় এবং বহু আবেদনপত্র জমা হয় যার সমস্থ ব্যয়ভার ভারত সরকার বহন করতে প্রস্তুত
খুব সহজে আর দ্রুত মানুষের কাছে আয়ুশ সমন্ধে বিশেষত করোনা মোকাবিলায় রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা গড়ে তোলার জন্য মন্ত্রক একটি মোবাইল অ্যাপ্লিকেশন চালু করেছে যার নাম “ আয়ুস সংজীবনী “ এবং এটি বেশ সমাদৃত হয়েছে। এতে বিশেষ কিছু উপদেশ দেওয়া হয়েছে যেমন হালকা গরম জল পান , রান্নাতে জীরে , হলুদ, আদা, ইত্যাদি মশালার ব্যবহার , চাবনপ্রস খাওয়া , নাক দিয়ে বাষ্প নেওয়া, যোগ – আসন – প্রাণায়াম- নিয়মিত করা ও অনেক প্রকার পদক্ষেপের কথা বলা হয়েছে যা ঘরোয়া ভাবে পালন করা সম্ভব। গুগল প্লে স্টোরে গিয়ে যে কোনও স্মার্ট ফোনে এই অ্যাপ্লিকেশনটি ইন্সটল করা যাবে। এখানে ফীড ব্যাকও দেওয়া যাবে। এর সাথে সাথে সঠিক ভাবে মাস্ক পরা, সামাজিক বা শারিরীক দূরত্ব বজায় রাখা এবং সাবান দিয়ে হাত ধোয়া ইত্যাদির ও সমান ভাবে প্রচার করছে। নিজস্ব রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা গড়ে তোলার জন্য একটি বিশেষ ফর্মুলা ‘ আয়ুশ ক্বাথ’ নামে নির্দেশ জারি করেছে এবং ইচ্ছুক কম্পনীদের ছাড়পত্র প্রদান করার জন্য স্টেট ড্রাগ কনট্রোল কে দ্রুত পদক্ষেপ নেওয়ার জন্য পরামর্শ দিয়েছে।
সেন্ট্রাল সেক্টর স্কীম এর মাধ্যমে আয়ুর্বেদ , ইউনানী, সিদ্ধ ও হোমিওপ্যাথি ঔষধের সতর্কতা ও বিভ্রান্তিকর বিজ্ঞাপন কাজ চলছে । কোনো বিভ্রান্তিকর বিজ্ঞাপন যা সাধারণ মানুষকে ভুল পথে চলিত করে তার উপর আইনত ব্যবস্থা নেওয়া হচ্ছে । নোবেল করোনা ভাইরাস সংক্রান্ত কবিড19 রোগ নিরাময় নিয়ে সারা ভারতবর্ষে প্রায় 200 টি বিভ্রান্তিকর বিজ্ঞাপন জমা পড়েছে এবং তাদের উপর আইনুগ ব্যবস্থা নিয়েছে রাজ্য সরকারগুলি । কবিড19 নিয়ে গবেষণার এক দ্বার উন্মুক্ত করে দিয়েছে আর আয়ুশ কম্যুনিটির মধ্যে রিসার্চ কালচার তৈরি যা আমাদের এক আশার পথ দেখাচ্ছে। কয়েক হাজার বছরের পুরানো চিকিত্সা পদ্ধতি সমকালীন যুগে সমান ভাবে আজ প্রাসঙ্গিক। ক্লিনিকাল ট্রায়াল রেজিস্ট্রেশন অফ ইন্ডিয়া যা ইন্ডিয়ান মেডিকাল কাউনসিল অফ ইন্ডিয়ার অধীনস্থ একটি সংস্থা যেখানে সব ট্রায়াল এর এক লম্বা প্রক্রিয়ার মাধ্যমে নথিভুক্ত করণ করা হয়। এখানে দেখা গেছে 203 টি কবিড19 সংক্রান্ত ট্রায়াল এর মধ্যে 125 টি ট্রায়াল আয়ুশ থেকে হয়েছে যার মধ্যে অধিকাংশ বিভিন্ন ওষুধ নিয়ে যার মধ্যে অন্যতম গুড়ুচীঘন বটি, সুদর্শন ঘন বটি, অশ্বগন্ধা, আয়ুশ-64, চবন্প্রস, আয়ুশ ক্বাথ , সমসমনি বটি, গুড়ুচী বা গিলয় , নীম , কালমেঘ , ইত্যাদি । আয়ুশ মন্ত্রকের অধীনস্থ সেন্ট্রাল কাউনসিল ফর রিসার্চ ইন আয়ুর্বেদিক সায়েন্স এর 30 টি প্রতিষ্ঠান যুদ্ধ কালীন তত্পরতায় রিসার্চের কাজে লিপ্ত আছে। প্রসঙ্গত উল্লেখ আয়ুশ 64 ওষুধ টি একটি ম্যালেরিয়া রোগের জন্য আবিস্কৃত হয়েছিল প্রখ্যাত রসায়নবিদ প্রোফেসর অসীমা চ্যাটার্জী নেতৃতে রাজাবাজার সায়েন্স কলেজ আর সেন্ট্রাল আয়ুর্বেদ রিসার্চ ইন্সটিটিউট ফর ড্রাগ ডেভেলপমেন্ট , সল্ট লেক , কলকাতা সেন্টার থেকে। আয়ুশ 64 নিয়ে দেশের কয়েকটি প্রথিতযশা সমস্থাতে ক্লিনিকাল ট্রায়াল চলছে । মন্ত্রক ইতিমধ্যে বিদেশে বহু কেন্দ্রিক ক্লিনিকাল ট্রায়াল এর তোড়জোড় শুরু করেছে । রিসার্চের কিছু কিছু ফল ধীরে ধীরে বিভিন্ন পিয়ার রিভিউ জার্নাল গুলিতে আস্তে শুরু করেছে এবং অদূর ভবিষ্যতে আমরা আশাপ্রদ কিছু ফলাফল পাবো। আয়ুশের গবেষনার পাব্লিকেশন্স আয়ুশ রিসার্চ পোর্টাল থেকে সহজেই পাওয়া যেতে পারে যেখানে বিভিন্ন ক্যাটাগরির গবেষনালব্ধ পত্রিকা অ্যাক্সেস করা যাবে। মন্ত্রকের ওয়েব সাইটে বিশদ তথ্য পাওয়া যাবে


দেশকে করোনা মুক্তির জন্য সব ধরনের সব দিক দিয়ে প্রচেষ্টা করা দরকার । যাতে সংক্রামন না হয়, হলে যাতে তাড়াতাড়ি রোগ মুক্তি হয়, টেস্ট নেগেটিভ হওয়ার পড়ে দ্রুত আরোগ্য লাভের জন্য আয়ুশ চিকিত্সা পদ্ধতির সুযোগ ও সুবিধা আজ বৈজ্ঞানিক ভাবে প্রমানিত হয়েছে। এমন কোনো সাধারণ মানুষ খুজে পাওয়া যাবে না যিনি কোনো ভেষজ গ্রহণ করেননি । আমাদের প্রচলিত জ্ঞান ও অভিজ্ঞতা থেকে অনেক সময় জেনে বা না জেনে আমরা বিভিন্ন ভেষজ কে ব্যবহার করে থাকি । ভেষজ হল এক কথায় প্রাকৃতিক মলিকিউলের সম্ভার । দেশকে করোনা মুক্তির অঙ্গীকার নিয়ে স্বাস্থ্য মন্ত্রক আয়ুর্বেদ ও যোগের উপর জাতীয় চিকিত্সা প্রটোকল প্রকাশ করেছে । আয়ুশের অন্তর্গত সমস্থ প্রতিষ্ঠান ‘ আয়ুশ ফর ইম্যুনিটি ক্যাম্পেন ‘ করছে বিভিন্ন পাবলিক লেক্চার, ওয়েবিনার, প্রদর্শন, ভেষজ রোপণ ইত্যাদির মাধ্যমে। কোন টা মিথ আর কোনটা সত্যি সেটা সেটা জনসাধারনকে জানানোর দিন এসেছে। 13.87 লাখ আয়ুশ ডক্টর , 8954 জিএমপি ওষুধ কোম্পানী , 3986 হস্পিটাল, 27199 ডিসপেনশরী , 914 আয়ুশ কলেজ, 73 স্কীম, ন্যাশন্যাল আয়ুশ মিশন, শতাধিক রিসার্চ ইন্সটিটিউট , ন্যাশন্যাল ইন্সটিটিউট , জাতীয় ভেষজ পর্ষদ, আলাদা মন্ত্রক, বিভিন্ন সহযোগী মন্ত্রক, রাজ্য সরকার গুলির আয়ুশ বিভাগ ও সর্বোপরি জনসাধারনের মধ্যে প্রচলিত জ্ঞান এগুলিকে বাদ দিয়ে করোনা যুদ্ধে জয়ী হওয়া প্রায় অসম্ভব । তাই আজ দিন এসেছে ভারতবাসী বলে গর্ব করার যে আমাদের নিজস্ব চিকিত্সা পদ্ধতির জ্ঞানকে এই মহামারিতে কাজে লাগানো। আয়ুশকে অচ্যুত করে দূরে সরিয়ে রাখলে আখেরে আমাদের ক্ষতিই হবে

ডাঃ অচিন্ত্য মিত্র
চিকিত্সা বিজ্ঞানী ; সেন্ট্রাল আয়ুর্বেদ রিসার্চ ইন্সটিটিউট ফর ড্রাগ ডেভেলপমেন্ট

आयुष बगैर अब चिकित्सा असंभव

गणतांत्रिक देश में आपदा का सामना चिकित्सा के क्षेत्र में लोकतांत्रिककरण के लिए विभिन्न कारणों से आज आवश्यक हो गई है। भारत सरकार की ओर से स्वीकृत छह चिकित्सा पद्धति को लेकर गठित आयुष मंत्रालय इस राष्ट्रीय आपदा का सामना करने के लिए मैदान में कूद पड़ा है , इसे कहने की जरूरत नहीं। कोरोना वायरस महामारी के रूप में हमारे सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक, मानसिक और धार्मिक जीवन यात्रा में आमूल परिवर्तन लाया है। अपने देश के आबादी के अब तक 70 लाख से भी अधिक मनुष्य कोरोनावायरस से संक्रमित हुए हैं एवं एक लाख से भी अधिक मनुष्य मरे हैं। पूरे विश्व को देखते हुए हम ब्राजील को छोड़कर द्वितीय स्थान पर हैं। नोबॉल कोरोना वायरस जनित सार्स कोवि -2 या कोविड-19 रोग का सटीक टीका को लेकर पूरे विश्व के विभिन्न देशों में अनुसंधान होने पर पर भी अभी तक यह निश्चित नहीं हो पाया कि कब या टीका जनसाधारण तक आएगा। इसका सटीक निर्देश विश्व स्वास्थ्य संगठन या सरकार अभी तक देने में असमर्थ है। ठीक है इस अवस्था में व्यक्तिगत रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने की औषधि आयुष मंत्रालय देता है। इस मंत्रालय के समयोपयोगी कदम ने सत्य ही प्रशंसनीय है। देश के माननीय प्रधानमंत्री ने 14 अप्रैल को राष्ट्र के लिए वक्तव्य के माध्यम से आयुष मंत्रालय के निर्देशित रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले उपायों का अवलंबन करने की बात कही। वे पूरे देश के विशिष्ट आयुर्वेद चिकित्सकों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से परामर्श किए। विशिष्ट कमेटी का गठन कर आयुष के विभिन्न चिकित्सा पद्धति के ऊपर चिकित्सा सूत्र और व्यवस्था तैयार किये जो एक नए रोग को उचित तरीके से चिकित्सा करने में चिकित्सकों की सहायता करेगा। कोरोनावायरस का सामना आयुष पद्धति से अनुसंधान कराने के लिए आवेदन लिया गया और बहुत सा आवेदन पत्र जमा हुआ। जिसका समस्त व्यय का दायित्व वहन करने के लिए भारत सरकार प्रस्तुत है।
बहुत ही सारे तरीके से और जनसाधारण तक तेजी से आयुष के बारे में विशेषकर कोरोना के सामना रोग प्रतिरोधक क्षमता तैयार करने के लिए मंत्रालय ने एक एप्लीकेशन चालू किया जिसका नाम ” आयुष संजीवनी” है और यह बहुत ही तेजी से जनसाधारण में समादृत हुआ। इसमें कुछ विशेष संदेश दिए गयें जैसा कि गर्म जल पीना, भोजन में जीरा हल्दी अदरक इत्यादि मसालों का व्यवहार, च्यवनप्राश खाना, नाक से भाप लेना, योग-आसन-प्राणायाम नियमित करना और अनेक तरह की सावधानी रहने के उपाय बताए गए, जो घर- परिवार मैं भी पालन करना संभव है। गूगल स्टोर में जाकर जिस किसी स्मार्टफोन में यह एप्लीकेशन इंस्टॉल किया जा सकता है। और यहां पर फीडबैक दिया जाएगा। इसके साथ साथ उचित तरीके से मास्क पहनना, सामाजिक वा शारीरिक दूरी बनाये रखना तथा साबुन लगाकर हाथ धोना आदि का साधारण तौर पर प्रचार कर रहा है। अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता को तैयार करने के लिए एक विशेष फॉर्मूला “आयुष क्वाथ” नाम देकर निर्देशित किया है ‌ एवं इच्छुक कंपनियों को इसे तैयार करने की अनुमति देने के लिए स्टेट ड्रग कंट्रोल को त्वरित कार्रवाई करने के लिए परामर्श दिया है


सेंट्रल सेक्टर स्कीम के माध्यम से आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथिक औषधियों के प्रति सतर्कता और विभ्रांतिकारी विज्ञापन का काम चल रहा है
‌। कोई विभ्रांतकारी कार्य चल रहा है। कोई विभ्रांतिकारी विज्ञापन जो जनसाधारण को गलत मार्ग पर ले जा रहा है उस पर कानूनी तौर पर कार्रवाई हो रही है। नोबेल कोरोनावायरस संक्रांत कोविड-19 रोग से निरोग होने को लेकर पूरे भारतवर्ष में प्राय: 200 विभ्रांतकारी विज्ञापन सामने आए हैं, और उन पर राज्य सरकारों ने कानूनन कार्रवाई की है। कोविड-19 नै अनुसंधान का एक द्वार खोल दिया है और आयुष कम्युनिटी के बीच शोध संस्कृति को पुनर्स्थापित किया है जो हम लोगों को एक आशा का मार्ग दिखाता है। कई हजार वर्ष पुरानी चिकित्सा पद्धति समकालीन युग में सामान्य तौर पर आज प्रामाणिक है। इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अंतर्गत एक संस्था क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्रेशन आफ इंडिया है, जहां सभी ट्रायल को एक लंबी प्रक्रिया के बाद पंजीकृत किया जाता है। जहां देखा गया कि 203 कोविड-19 आक्रांतों के ट्रायलों में 125 ट्रायल आयुष की ओर से हुआ है, जिसमें अधिकांश विभिन्न औषधियों को को लेकर है। जिसमें अन्यतम गिलोय (अमृता) घन सुदर्शन घनवटी अश्वगंधा आयुष 64 चवनप्राश आयुष क्वाथ, संशमनी वटी, गिलोय, नीम , काल मेघ, इत्यादि है। आयुष मंत्रालय के अंतर्गत सेंट्रल काउंसिल फार रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस के 30 संस्थानों ने युद्ध स्तरीय तत्परता से अनुसंधान कार्य में लिप्त है। प्रसंगत: उल्लेखनीय है कि आयुष 64 नामक एक औषधि मलेरिया रोग के लिये प्रख्यात रसायन विद प्रोफेसर असीमा चटर्जी के नेतृत्व में कोलकाता के राजा बाजार साइंस कॉलेज और कोलकाता के साल्टलेक सेंट्रल आयुर्वेद रिसर्च इंस्टिट्यूट फार ड्रग डेवलपमेंट के संयुक्त प्रयास से आविष्कृत हुई थी । आयुष 64 को लेकर देश के कई प्रतिष्ठित संस्थाओं में क्लिनकल ट्रायल चल रहा है। मंत्रालय ने इसी बीच विदेश में बहुत से केंद्रों पर क्लिनकल ट्रायल का प्रयास शुरू किया है। इस तरह के रिसर्च का कुछ परिणाम धीरे धीरे रिव्यू जर्नलों में आना शुरू हुआ है और शीघ्र ही भविष्य में हम आशा प्रद परिणाम पाएंगे। आयुष के अनुसंधान प्रकाशक आयुष रिसर्च पोर्टल से सहज रूप में इसे प्राप्त किया जा सकता है। यहां से विभिन्न प्रकार की अनुसंधानात्मक तथ्यों से युक्त पत्रिका प्राप्त की जा सकती है। मंत्रालय के वेबसाइट पर भी बहुत से तथ्य प्राप्त होंगे।


देश को कोरोना वायरस से मुक्त कराने के लिए सब की ओर से सभी तरह के प्रयास करने की जरूरत है। जिससे कि इस रोग का संक्रमण नहीं बढ़े।यदि हो भी तो शीघ्रातिशीघ्र रोगमुक्त हो टेस्ट नेगेटिव हो सके त्वरित आरोग्य लाभ के लिए आयुष चिकित्सा पद्धति का सुयोग सुविधा आज वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित हुआ है। जनसाधारण में ऐसा कोई नहीं मिलेगा जो इस दौर में कोई भेषज ग्रहण नहीं किया हो। प्राकृतिक मॉलिक्यूलर के भंडार को एक शब्द में भेषज कहते हैं। देश को कोरोना मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय आयुर्वेद और योग पर राष्ट्रीय चिकित्सा प्रोटोकॉल प्रकाशित किया है। आयुष के अंतर्गत समस्त प्रतिष्ठान ” आयुष फॉर इम्यूनिटी कैंपेन ” के तहत जन संचेतना के लिए जनसंपर्क माध्यम से जनता के बीच वक्तव्य , वेबीनार, प्रदर्शन, भेषज आरोपण इत्यादि करता रहा है। क्या मिथक है और क्या सत्य है यह बताने का अब समय आया है। 13.87 लाख आयुष डॉक्टर, 8954 जीएमपी, औषधि कंपनी, 3986 हॉस्पिटल, 27199, डिस्पेंसरी, 914 आयुष कॉलेज, 73 स्कीम, नेशनल आयुष मिशन, शताधिक रिसर्च इंस्टिट्यूट, नेशनल इंस्टिट्यूट, राष्ट्रीय भेषज परिषद के अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय से अलग आयुष मंत्रालय विभिन्न सहयोगी मंत्रालय राज्य सरकारों की ओर से आयुष विभाग का गठन और सर्वोपरि जनसाधारण के मध्य प्रचलित ज्ञान को बाद देकर कोरोना युद्ध में विजयी होना प्राया असंभव है।
इसीलिए वह दिन आया है कि हम भारतवासी के रूप में गर्व करें कि हमारी अपनी चिकित्सा पद्धति है उस ज्ञान को इस महामारी में व्यवहार में लायें। आयुष को छोड़कर, दूरी बनाकर रखने पर आखिर में हम लोगों की क्षति होगी।
डॉक्टर अचिंत्य मित्र
चिकित्सा वैज्ञानिक,
सेंट्रल आयुर्वेद रिसर्च इंस्टिट्यू फार ड्रग डेवलपमेंट

अनुवाद डॉक्टर आनंद पांडेय

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